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फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र

यूनिवर्सिटी फास्टर नोट्स

प्रकाशक : कानपुर पब्लिशिंग होम प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 307
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष (सेमेस्टर-1) शिक्षाशास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-प्रश्नोत्तर

प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।

अथवा

शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।

उत्तर -

शिक्षा की परिभाषा

(Definition of Education)

शिक्षा के उपरोक्त वर्णित अर्थों को जानने के बाद शिक्षा की एक समुचित परिभाषा ति करनी भी आवश्यक है। परिभाषा के निर्धारण द्वारा शिक्षा के अर्थ स्पष्टीकरण में सहायता प्राप्त होगी। अमेक भारतीय तथा पाश्चात्य विद्वानों ने शिक्षा की अवधारणा को परिभाषित करने का प्रयास किया है। यहाँ अलग-अलग दृष्टिकोण से भारतीय तथा पाश्चात्य विद्वानों द्वारा प्रतिपादित परिभाषाएँ प्रस्तुत की जायेंगी।
1. भारतीय विद्वानों द्वारा शिक्षा की परिभाषा- प्राचीन तथा आधुनिककाल के विभिन्न भारतीयों विद्वानों एवं शिक्षाशास्त्रियों ने शिक्षा की प्रक्रिया की विभिन्न विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा की परिभाषाएँ प्रस्तुत की हैं। कुछ मुख्य भारतीय विद्वानों द्वारा परिभाषित परिभाषाओं का विवरण निम्न वर्णित है -
विवेकानन्द द्वारा परिभाषित विवेकानन्द ने भी स्वीकार किया है कि शिक्षा द्वारा मनुष्य की आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है, "शिक्षा मनुष्य के अन्तर में निहित ब्रह्म भाव की अभिव्यक्ति है।
अरविन्द द्वारा परिभाषित - आधुनिक युग के प्रसिद्ध विद्वान योगीराज श्री अरविन्द घोष ने शिक्षा को एक सहायक प्रक्रिया में स्वीकार किया है जो मनुष्य की आत्मिक प्रगति में सहायता प्रदान करती है। उनके शब्दों में, "प्रगतिशील आत्मा को अपने भीतर निहित तत्वों की सहायता देना ही शिक्षा है।
टैगोर द्वारा परिभाषित गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने शिक्षा के व्यापक अर्थ को ध्यान में रखते शिक्षा की परिभाषा इन शब्दों में प्रस्तुत की, "उच्चतम शिक्षा वह है जो केवल हमें शिक्षा ही नहीं देती वरन् हमारे जीवन को प्रत्येक अस्तित्व के अनुकूल बनाती है।'
महात्मा गाँधी द्वारा परिभाषित - महात्मा गाँधी ने भी शिक्षा को एक व्यापक एवं बहुपक्षीय प्रक्रिया स्वीकार किया है। उनके अनुसार, "शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक तथा मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा में अन्तर्निहित शक्तियों के सर्वांगीण प्रकट्य से है।'
2. पाश्चात्य विद्वानों द्वारा शिक्षा की परिभाषाएँ - अनेक ग्रीक एवं पाश्चात्य विचारकों ने भी समय-समय पर शिक्षा की विभिन्न परिभाषाएँ प्रस्तुत की हैं -
अरस्तू - "शिक्षा स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन की रचना करती है।'
सुकरात "शिक्षा का आशय है सार्वजनिक प्रमाणिकता के विचारों को प्रकाश में लाना जोकि व्यक्ति के मन में निहित है।
प्लेटो - "शिक्षा शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक विकास की एक प्रक्रिया है।'
पेस्टालाजी - "शिक्षा मनुष्य की आन्तरिक शक्तियों का स्वाभाविक समन्वित एवं प्रगतिशील विकास है।'
उपर्युक्त वर्णित विभिन्न परिभाषाओं द्वारा शिक्षा का वास्तविक अर्थ स्पष्ट हो जाता है। वास्तव में शिक्षा एक विस्तृत प्रक्रिया है जिसका सम्बन्ध व्यक्ति के सर्वांगीण अर्थात् आन्तरिक एवं बाहरी विकास से है। यह प्रक्रिया जीवन भर चलती रहती है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि शिक्षा एक प्रयोजनशील तथा आजीवन चलने वाली एक गत्यात्मक प्रक्रिया है। शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के आचार-विचार तथा अन्य पक्षों का परिमार्जन एवं संशोधन करना है। शिक्षा के परिणामस्वरूप व्यक्ति और समाज दोनों का उन्नयन होता है। शिक्षा के अर्थ के और स्पष्टीकरण के लिए इसकी मुख्य विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन भी प्रस्तुत किया जा रहा है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वैदिक काल में गुरुओं के शिष्यों के प्रति उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- वैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु यह किस सीमा तक प्रासंगिक है?
  4. प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के कम से कम पाँच महत्त्वपूर्ण आदर्शों का उल्लेख कीजिए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए उनकी उपयोगिता बताइए।
  6. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
  7. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
  8. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
  9. प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
  10. प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  14. प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ लिखिए।
  18. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  23. प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  25. प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
  26. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए। आपको जो अब तक ज्ञात परिभाषाएँ हैं उनमें से कौन-सी आपकी राय में सर्वाधिक स्वीकार्य है और क्यों?
  27. प्रश्न- शिक्षा से तुम क्या समझते हो? शिक्षा की परिभाषाएँ लिखिए तथा उसकी विशेषताएँ बताइए।
  28. प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
  29. प्रश्न- शिक्षा का 'शाब्दिक अर्थ बताइए।
  30. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।
  31. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  32. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
  33. प्रश्न- शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।
  34. प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
  36. प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  37. प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- शिक्षा विज्ञान है या कला या दोनों? स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
  46. प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।

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